आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी …

Shivraj Singh Chauhan

 

यह सत्य तो जग ज़ाहिर है कि आज हमें बाहर की दुनिया जीतने की बजाय अपने भीतर को जीतना, अपने ऊपर पूर्ण नियंत्रण करना ज़रूरी है।  हमारी सारी समस्याओं का समाधान हमारे अंदर ही कहीं छुपा है – ज़रूरत है बस उसे ढूंढ निकालने की।  इसी लिए हमारी संस्कृति में उपवास को महत्व दिया गया है। पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि महाविष्णु ने उन सब भक्तों को बचा लिया था जिन्होंने एकादशी को पूर्ण उपवास किया था।  यहीं से हमारी उपवास की प्रथा आरम्भ हुई।

पर उपवास केवल आत्मरक्षा के लिए ही नहीं है – यह आत्म शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।  गांधीजी ने इस विधा को एक आयाम दिया था. उनसे पूछा गया था कि आखिर उपवास रखने से क्या हासिल हो जायेगा।  उनका उत्तर था –

“मैंने असहयोग आंदोलन का आरम्भ किया था।  आज मैं देखता हूँ कि लोग एक दूसरे के साथ ही असहयोग कर रहें हैं , उन्हें हिंसा से भी परहेज नहीं है।  क्या वजह हो सकती है ? शायद मैं ही पूर्ण रूप से हिंसाविरोधी नहीं बन पाया।  क्योंकि अगर ऐसा होता तो मेरे आसपास हिंसा नहीं होती…”

वे इन उपवासों के समय अपना कठोर आत्मनिरक्षण करते थे – हम उसे आत्मशुद्धि कह सकते हैं।
शायद उनकी आत्मशुद्धि के साथ कहीं ‘जनशुद्धि’ जुडी हुई थी। नतीजन, गांधीजी के उपवास से लोगों में विवेक – जागृति होती थी और समस्या का हल मिल जाया करता था.

इस सन्दर्भ में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का शनिवार को प्रदेश में शांति बहाली के लिए अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठना बहुत महत्वपूर्ण है।  मंदसौर में किसानों के उग्र प्रदर्शन के बाद और हिंसक होते हुए किसान आंदोलन के विरूद्ध मुख्य मंत्री का BHEL के दशहरा मैदान पर उनकी पत्नी व कई कैबिनेट मंत्रियों ने साथ दिया. इस अवसर पर सी एम ने यह कहा कि किसानों के बिना प्रदेश की उन्नति नहीं हो सकती और यह आश्वासन दिया कि  खेती – किसानी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

हिंसा के विरुद्ध अपने प्रशासन की शक्ति दिखाने के बजाय अपनी आत्मा की शक्ति  दिखा कर मुख्यमंत्री ने एक सराहनीय प्रयास किया है।  आशा है कि उग्र किसान भी अपना आत्मनिरीक्षण करेंगे और हिंसा की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से अपनी समस्याओं का समाधान चाहेंगे।

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