भावांतर योजना: प्रदेश सरकार पहुंचाएगी फसल अब खेत से मंडी तक

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 खेत से मंडी तक 15 किमी या इससे अधिक दूरी होने पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के खर्च का भुगतान मंडी से होगा। अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य जिलों में यह व्यवस्था कलेक्टर के अधीन होगी।

 भुगतान कi दर कलेक्टर, आरटीओ और मंडी सचिव की समिति तय करेगी। दस्तावेजों के आधार पर बेची गई फसल का सत्यापन होने के बाद ही भुगतान होगा।

 योजना में पंजीकृत किसान को ट्रैक्टर-ट्रॉली उपयोग की देयक और मंडी समिति द्वारा जारी किए गए अनुबंध पत्र, तौल पर्ची, भुगतान पर्ची की स्वप्रमाणित कॉपी संबंधित मंडी समिति को दिखानी होगी।

 प्रदेश के गैर आदिवासी जिलों में कस्टम हायरिंग सेंटर से ट्रैक्टर-ट्रॉली उपलब्ध कराई जाएंगी। कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने राज्य में 1825 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए हैं।

 शहडोल जिले में आदिवासी बाहुल्य कुछ क्षेत्रों में यह व्यवस्था बतौर पायलट प्रोजेक्ट शुरू की है।

 किसान अच्छी कीमत की अपेक्षा में अपनी उपज बाद में बेचना चाहे तो वह लाइसेंसी गोदाम में अनाज रख सकता है। इसके लिए सरकार 9.90 रुपए प्रति क्विंटल प्रति दिन या वास्तविक भुगतान, जो भी कम हो उसका भुगतान किसान के खाते में कर देगी।

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