मोदी सरकार की नीतियों से आया भारत की रेटिंग में सुधार

Moody's Rank

खास विशेषताएं:

  • अंतर्राष्ट्रीय कर्जों का मूल्य अब भारत सरकार को एवं भारत के कॉर्पोरेशन को सस्ता होगा.
  • शेयर बाजार में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
  • रेटिंग स्तर में सुधार का मतलब है जीएसटी और नोटबंदी में सरकार के आलोचकों को करारा झटका.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर निर्धारक संस्था मूडीज ने भारत की देशी एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता स्तर को ‘बीएए3’ से
‘बीएए2’ में अपग्रेड किया और स्तर निर्धारण दृष्टिकोण को “सकारात्मक” से “स्थिर” में तब्दील किया है.
मूडीज ने भारत के सुधार कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जिसमें जीएसटी, खातों को आधार से जोड़कर
हितग्राहियों को सीधे लाभ पहुँचाना एवं उलझे कर्जों के निपटारे के लिए बैंकिंग प्रणाली में लिए गए कदम
शामिल हैं.
रेटिंग में सुधार 13 साल बाद आया है. इसके पहले मूडीज ने 2004 में भारत की रेटिंग को ‘बीएए3’ किया था.

मूडीज के अनुसार, लागू किए गए सुधारों की वजह से भारत में व्यापार के वातावरण में तरक्की होगी,
उत्पादकता बढ़ेगी, घरेलू एवं विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और अन्तत: मजबूत एवं दीर्घकालीक विकास
को पोषित करेगा. भारत की मज़बूत विकास संभावनाओं एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के परिणामस्वरूप मिले
झटके सहन करने वाली क्षमता को सुधार कार्यक्रमों से वृद्धि मिलेगी.

रेटिंग बढ़ाने का निर्णय इसलिए किया क्योंकि मूडीज को भरोसा है कि वित्तीय एवं संस्थागत सुधार में
लगातार प्रगति से, समय के साथ, भारत की अधिक विकास संभावनाओं को वृद्धि मिलेगी. सामान्य सरकारी
कर्ज़ों के बोझ, वृहद् एवं मज़बूत वित्तीय ढांचे से धीरे-धीरे घट जाएगी. मूडीज ने विश्वास जताया की सुधार
कार्यक्रम ने नकारात्मक परिस्थितियों में भी कर्ज़ और बढ़ने के जोखिम को कम कर दिया.

ज्यादातर करेंसी को बैंकों में वापस जमा करने की वजह से आलोचनाओं से घिरे नोटबंदी को भी मूडीज ने
सकारात्मक दृष्टि से देखा है. सरकार के प्रयासों, जैसे भ्रष्टाचार कम करना, आर्थिक गतिविधियों में पारदर्शिता
लाना, नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से कर संग्रह और प्रबंधन को सुधारना आदि भारत की संस्थाओं को
और मज़बूत करने में मददगार है.

फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (FRBM) एक्ट को लागू कर आर्थिक एवं वित्तीय मामलों में
पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने से भारत की वित्तीय विश्वसनीयता को और बढ़ावा मिला. मुद्रास्फीति कम हुआ
और विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक वृद्धि को भी संभावित झटकों से उभरने में सक्षम बनाते है.