सरकार की रोहिंग्या नीति देशहित में

भारत सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों के संदर्भ में जो नीति अपनाई है, वो देश की सुरक्षा की दृष्टि से सराहनीय है। यह केवल असहाय शरणार्थियों की समस्या नहीं है। रोहिंग्यों के साथ भारी तादाद में पाकिस्तान के ISI एजेंट और आतंकवादी सक्रिय है। शरणार्थियों के आड़ में भारत में दंगा-फसाद करना इन आतंकी तत्वों का मकसद है।
कश्मीर में बार-बार सुरक्षाबलों के हाथों मात खाने के बाद पाकिस्तान और उनके ISI अन्य भारत विरोधी विकल्पों को तलाश रहे है। ऐसे में रोहिंग्या शरणार्थियों से घुल-मिलकर एवं रोहिंग्यों को लालच देकर ISI भारत में आतंक फैलाना चाहता है। केंद्र सरकार ने अपनी नीति से विचलित न होकर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर लिया है।
हज़ारों शरणार्थियों के बीच में से असली शरणार्थियों और आतंकवादियों को पहचानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ऐसे में रोहिंग्यों के भारत में प्रवेश रोकने एवं मौजूदा रोहिंग्यों को वापस लेने के लिए म्यांमर सरकार पर दबाव लगाना है। यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है की भारत हमेशा से मानवीयता के आधार पर ज़रूरतमंदों को, दुनिया के किसी भी कोने पर हो, सहायता पहुंचाने में आगे रहा है। लेकिन रोहिंग्या की समस्या को मात्र मानवीयता से जोड़कर देखना सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी चूक होगी। भारत सरकार की नीति का हर देशभक्त नागरिक को समर्थन करना चाहिए।
विश्व में पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है। पाकिस्तान को शेष दुनिया आतंकवाद के वैश्विक राजधानी एवं मुख्य प्रायोजक मान लिया है। इन सब विफलताओं के बावजूद पाकिस्तान सबक नहीं सीख रहा है। पाकिस्तान से यह उम्मीद करना भी बेबुनियाद है। जिस देश की पैदाइश नफरत के बीज से हुई हो, वो नफरत और आतंकवाद ही पैदा कर सकता है।
आईए हम सब भारत सरकार की सख्त रोहिंग्या नीति का समर्थन कर सच्चे देशभक्त नागरिक होने का परिचय दें।

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