बलूचिस्तान मामला: जर्मनी के बाद लंदन से भी मिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान पर दिए गए बयान को अब देश ही नहीं विदेश से भी समर्थन मिल रहा है। लंदन में ‘पीएम मोदी फॉर बलूचिस्तान’ और ‘कदम बढ़ाओ मोदी जी हम तुम्हारे साथ हैं’ जैसे नारों के साथ लोगों ने प्रदर्शन किया। लंदन में मौजूद सिंध और बलूचिस्तान के नेताओं ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी खिलाफत की। बीते शनिवार (27.08.2016) को जर्मनी में भी इसी तरह के दृश्य देखने मिले थे। वहाँ लेपिजिग शहर में कई बलूच कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और एक रैली का आयोजन किया। इन लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारे भी लगाए। इस रैली कि ख़ास बात यह थी कि कार्यकर्ताओं के हाथ में तिरंगा था।

ज्ञात हो कि अमेरिका ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर तथा बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जताई थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि अमेरिका वहाँ ‘मानवाधिकार की स्थिति’ को लेकर चिंतित है और इसका उल्लेख अपनी मानवाधिकार रिपोर्ट में किया है।’ टोनर ने यह भी कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान से क्षेत्र में मौजूद समस्याओं का समाधान हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से और राजनीतिक प्रक्रिया के जरिये ढूंढ़ने का आग्रह किया है।

इस बीच चीन के एक प्रभावी थिंक टैंक (विचार मंच) ने कहा है कि अगर भारत के किसी ‘षड्यंत्र’ ने बलूचिस्तान में 46 अरब डॉलर लागत की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को बाधित किया तो फिर चीन को ‘मामले में दखल देना पड़ेगा।’
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशियन एंड ओसिनियन स्टडीज के निदेशक हू शीशेंग ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र, चीन और इसके विद्वानों की ‘ताजा चिंता’ है।
चीन की स्टेट सिक्योरिटी के मंत्रालय से संबद्ध इस प्रभावी थिंकटैंक के अध्ययनकर्ता ने यह भी कहा कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर इसके रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी के समान है।

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